लघु वार्ता -संगत का असर

लघु वार्ता -संगत  का असर 

एक चित्रकार को किसी सौम्य किशोर का चित्र बनाना था | उसने बहुत घूम फिर कर एसे किशोर को खोज कर उसका चित्र बनाया| चित्र की खूब प्रसंशा  हुई |


कुछ वर्षो बाद उसे एक अत्यंत क्रूर अपराधी का चित्र बनाने की इच्छा हुई | वह बंदिगाहों में घूम -घुम्कर सर्वाधिक दुष्ट आकृतिवाला व्यक्ति की तलाश करने लगा |एक बंदीगृह में एक एसा ही व्यक्ति दिखा, जि

क दिखाते इन दो परस्पर प्रतिकृतियों का जोड़ा चित्र जगत में बहुत प्रख्यात हुआ | कुछ समय बाद वही दुष्ट व्यक्ति चित्रकार से मिलने पहुंचा | चित्रकार ने उसका परिचय पुचा तो वह बोला-"ये दोनों चित्र आपने मेरे ही बनाये है|"


यह सुनकर चित्रकार  अवाक् रह गया| उसने पुछा -"इतना परिवर्तन कैसे हुआ?" तुम्हारी  सौम्यता, क्रूरता में कैसे बदल गई ?" यह सुनकर उसकी आँखों में आंसू भर गए | वह रुंधे गले बोला -"बुरी संगती से ही मेरी यह दुर्गति हुई|" 


तभी तो कहा जाता है- "संगत से गुण आवत है, संगत से गुण जात"|

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